सूरज तू कितना भी इतराये तुझे तो रोज ढलना ही है। सूरज तू कितना भी इतराये तुझे तो रोज ढलना ही है।
बहुत दूर निकल चुकी हूँ दुनियाँ के अनचाहे शोर से। बहुत दूर निकल चुकी हूँ दुनियाँ के अनचाहे शोर से।
दो अक्षर का, यह शब्द । दो जिस्म के, बीच बना । दो अक्षर का, यह शब्द । दो जिस्म के, बीच बना ।
शोर मचाता रहता है दिल जब सामने तुम्हारा हसीन चेहरा होता है! शोर मचाता रहता है दिल जब सामने तुम्हारा हसीन चेहरा होता है!
परंतु यह सदा स्मरण रखना कि- जो अच्छा है, उसे सुनकर, सदा स्मरण रखना चाहिए। परंतु यह सदा स्मरण रखना कि- जो अच्छा है, उसे सुनकर, सदा स्मरण रखना चाहिए।
आज क्यूँ शोर में मेरा नाम सुनाई देता है मेरा रूठा प्रतिबिम्ब आज क्यूँ सबकी नज़रों में दिखाई देत... आज क्यूँ शोर में मेरा नाम सुनाई देता है मेरा रूठा प्रतिबिम्ब आज क्यूँ सबकी ...